नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है हमारे blog sapnemein.com में , आज हम जानने वाले है, की प्रेत योनी को कौन उपलब्ध होता है? दोस्तों हर व्यक्ति अपने भविष्य के बारे में जानना चाहता है। की आने वाले दिनों में या मौत के बाद उसके साथ क्या होगा, उसे कौनसी योनी में जन्म मिलेगा, की वो ऐसा क्या करें की उसे पुनः मनुष्य योनी में जन्म मिल सके। किस अवस्था में मृत्यु होने पर उसे प्रेत योनी मिलती है और कब तक उसे प्रेत योनी में रहना पड़ेगा।
आज हम इस प्रकार के सभी सवालों के बारे में बात करेंगे। मनुष्य की प्रकृति प्रदत्त आयु 110 वर्ष है, जिसमें से 55 वर्ष रात्रि में कट जाती है. शेष बचती है 55 वर्ष यदि शरीर स्वस्थ रहा और किसी भयंकर रोग व्याधि का आक्रमण नहीं हुआ, तो मनुष्य 55 वर्ष से अधिक समय भी व्यतीत कर सकता है । 55 वर्ष से अधिक जीना मनुष्य के स्वास्थ्य जीवन शैली और रहन-सहन पर निर्भर करता है। परामनोवैज्ञानिक दृष्टि से प्रकृति प्रदत्त आयु भोगकर मरने वाला व्यक्ति प्रेत योनि को उपलब्ध नहीं होता। वह स्थूल शरीर के मृत होते ही, तत्काल सूक्ष्म शरीर को उपलब्ध हो जाता है, और यथा समय कहीं पर जन्म भी ले लेता है। 55 वर्ष की आयु भोग लेने के बाद, यदि व्यक्ति की मृत्यु किसी कारणवश होती है, तो इस स्थिति में भी मृतक कुछ समय के लिये प्रेत योनि में रहता है।
55 वर्ष की आयु के भीतर यदि भूत प्रेत बाधा के कारण भयंकर रोग व्याधि, किसी भयंकर दुर्घटना, अस्त्र-शस्त्र, पानी में डूबने, ऊंचाई से गिरने , विष पीने ,फाँसी लगने ,जलने, आत्महत्या ,अचानक हृदय गति बन्द हो जाने इत्यादि के कारण मृत्यु होती है, तो उसे ‘अकाल मृत्यु’ कहते हैं। अकाल मृत्यु को उपलब्ध मृतक को शेष आयु की चौगुनी आयु प्रेत योनि में भोगनी पड़ती है।
यदि उस अवधि के भीतर उसकी वासना का वेग अथवा अतृप्त इच्छा समाप्त नहीं होती, तो वह तब तक प्रेत योनि में ही पड़ा रहेगा, जब तक कि उसकी वासना का वेग समाप्त नहीं हो जाता, और अतृप्त इच्छा पूर्ण नहीं हो पाती। भले ही इसके लिए सैकड़ो हजारों वर्ष का समय क्यों न लग जाये। सारांश यह कि प्रेत योनि की आयु विशेषकर मनुष्य की अतृप्त वासना, कामना, अतृप्त इच्छा और संस्कार की क्षीणता पर निर्भर है। जब तक वे बिलकुल समाप्त और क्षीण नहीं हो जाती। तब तक मृतक प्रेत योनि में ही दीर्घ काल तक भटकता रहता है।