दोस्तों हम इस पोस्ट में बात करने वाले है, की मकर शक्रांती पर पतंग उड़ाने की परंपरा कहाँ से आई और सबसे पहले पतंग किसने उड़ाई थी, जानने के लिए हमारे पोस्ट को अंत तक पढ़ें । दोस्तों हमारे यहाँ पर नए साल की शुरुआत धर्म कर्म व दान दक्षिणा से होती है। पश्चिम देशों की तरह शराबी पार्टियों के साथ नही । नए शाल की शुरुआत पहले त्योंहार मकर सक्रांति के साथ होती है। ये त्योंहार सम्पूर्ण भारत में हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार के दिन दान पुण्य किया जाता है, कड़ाही में तेल जलाया जाता है यानी गुलगुले पकोड़ी बनाए जाते है, मिठाइयाँ, रेवड़ी, मूँगफली और तिलहन के लड्डू आदि, बांटे जाते है।
जबकि ये त्योंहार बच्चों के लिए बहुत ही विशेष है। इस त्योंहार के दिन बच्चों के द्वारा रंग बिरंगी पतंग उड़ाई जाती है। सुबह होते ही सभी बच्चे और बुजुर्ग छत पर चढ़ जाते है । और पूरे दिन पतंगबाजी करते है। दोस्तों हम सभी लोग पतंग उड़ाते है। क्या आपको पतंग उड़ाने की परंपरा के बारे में पता है। किस कारण से पतंग उड़ाई जाती है और क्यों। सर्वप्रथम ये पतंग किसने उड़ाई और क्यों, और पतंग उड़ाने का प्रमुख कारण क्या था। पतंग का जिक्र तमील की तमन्ना रामायण में मिलता है। तमील भाषा की तमन्ना रामायण के अनुसार मकर सक्रांती पर पतंग उड़ाने की परंपरा आज की नहीं है , ये रामायण काल की है।
राज्य के प्रचार हेतू, धर्म संदेश लिखकर बड़ी सी पतंग उगाई गई थी। ऐसा माना जाता है ,वो पतंग उड़ती हुई इंद्रलोक में गई थी। तभी इंद्रलोक के सभी देवताओं ने भी पतंग उड़ाई और पृथ्वी वाशियों को आशीर्वाद दिया । इसी कारण से आज हम भगवान का आशीर्वाद प्रापती के लिए पतंग उड़ते है। ताकी हमारी पतंग भी इंद्रलोक में जा सके । दोस्तों आप मकर शक्रांती पर कितने पतंग उड़ाएंगे, और दान स्वरूप क्या क्या देंगे, हमे कमेंट करके बताएं। इसके साथ ही कमेंट बॉक्स में अपने इष्ट देव का नाम जरूर लिखें। दोस्तों अगर आपको हमारी पोस्ट जानकारी से भरपूर लगी तो, पोस्ट की लिंक को अपने दोस्तों के साथ साझा करें ।
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