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श्राद से संबन्धित ये गलतियाँ न करें नहीं तो

नमस्कार मेरे भाई बंधुओं आपका स्वागत है , हमारे blog sapnemein.com में। दोस्तों हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की तिथि से आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पित्र  पक्ष यानी श्राद मनाया जाता है , इस वर्ष पित्र पक्ष 17 सितंबर मंगलवार के दिन आरंभ हो रहा है और 2 अक्टूबर के दिन पित्र पक्ष का समापन होगा।  पित्र पक्ष 16 दिनों तक चलते हैं, जिनहे 16 श्राद कहते है,  इन दिनों के दौरान मनुष्य को अपने पूर्वजों की संतुष्टि के लिए उपाय अवश्य ही करने चाहिए। जो भी पूर्ण श्रद्धा से अपने पित्रों की मुक्ति की कामना करता है, उसके पित्र उसे सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं । हमारी हिन्दू संस्कृति और हिन्दू धर्म में पूर्वजों को भगवान के समीप बताया गया है।  और अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करना बहुत ही आवश्यक है। भगवान का आशीर्वाद पाने से पहले पितरों के आशीर्वाद प्राप्त करना जरूरी है, क्योकि भगवान तक पहुँचने की ये प्रथम सीढ़ी है , इसके बिना मनुष्य का कोई भी कार्य सफल नहीं होता है।

जो व्यक्ति अपने पूर्वजों या पितरों का श्राद्ध नहीं करता है, उनके कुल का खात्मा होना निश्चित है, और जो व्यक्ति अपने पूर्वजों का श्राद्ध तथा तर्पण सच्चे मन से करता है । वह संसार के सभी दुखों से पार चला जाता है। भगवान विष्णु जी से वरदान प्राप्त करके हमारे सभी पूर्वज पित्र पक्ष के दौरान कौवे के रूप में हमे आशीर्वाद प्रदान करने हेतु पृथ्वी पर आते हैं । वे हमारे द्वारा सम्मान प्राप्त करके बहुत आनंदित होते हैं। तथा हमारे द्वारा बनाए गए भोजन को ग्रहण करके संतुष्ट होकर हमे आशीर्वाद प्रदान करते है।  और फिर से पित्र लोक में चले जाते है। किंतु यदि कोई मनुष्य पित्र पक्ष के दौरान अपने पित्रों का आदर सत्कार नहीं करता है।  उनके स्वागत में उन्हें भोग नहीं लगाता है ,उस दौरान उसके पित्रगण  नाराज होकर वापिस लौट जाते हैं । इससे हमे पित्र दोष का सामना करना पड़ता है, और जिसके कारण हमारे जीवन विभिन्न प्रकार के दोष और संकट आने शुरू हो जाते है।

गरुड़ पुराण के अनुसार किसी तीर्थ स्थान पर पितरों के तर्पण और श्राद्ध का विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है ,कि गया और बद्रीनाथ या प्रयाग में श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है । इसके अलावा जिन लोगों को विशेष स्थान पर श्राद्ध करना संभव नहीं है। वह घर के किसी भी पवित्र स्थान पर कर सकते हैं, अगर जाना संभव ना हो, तो अपने घर की छात पर जाकर उन्हे याद किया जा सकता है। क्योकि वो पित्रजन हमे काकदेव के रूप में खुले आसमान में विचरण करते हुए मिल जाएँगे। लेकिन ध्यान रहे, पित्रों का श्राद्ध शाम के समय अथवा रात्रि के समय कभी नहीं करना चाहिए ।

पूर्वजों का आवाहन और पूजा केवल दिन के समय में ही करनी चाहिए, भूलकर भी रात्री के समय में पित्रों का आवाहन नहीं करना चाहिए। रात्रि में आवाहन करने में नकारात्मक शक्तियां उनके साथ हमारे घर में प्रवेश कर सकती है । कई बार किर्या कर्म सही नहीं होने से,पूर्वज पित्र लोग न जाकर उनकी आत्मा प्रेत योनी में भटकती रहता हैं । जब हम रात में उनका आवाहन करते है तो उंकी शक्ति रात को हावी होती है और वे घर में प्रवेश कर सकते हैं । जिससे घर में दुर्घटनाएं और नई नई परेशानी आनी शुरू हो जाती है।

पितरों को प्रसन्न करने के लिए कौन से महत्त्वपूर्ण उपाय करने चाहिए

आइए जान लेते हैं गरुड़ पुराण के अनुसार मनुष्य को अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए कौन से महत्त्वपूर्ण उपाय करने चाहिए । सबसे पहला उपाय पित्र पक्ष के दिनों में लोग मृत आत्माओं का आवाहन करते हैं, जिस कारण से पितरों के साथ अन्य प्रेत आत्माएं भी घर में प्रवेश करने का प्रयास करती है। यह बुरी नकारात्मक आत्माएं घर में नकारात्मक वातावरण का निर्माण करती है ।  इसीलिए पित्र पक्ष में अपने घर के मुख्य द्वार के सामने जल का एक कलस या लोटा अर्पित करें। इससे पित्र गण अत्यंत संतुष्ट होते हैं। उनको एक सकारात्मक शक्ति मिलती है इसके विपरीत नकारात्मक शक्तियां घर में प्रवेश नहीं करती । पित्र पक्ष में पितरों की संतुष्टि के लिए भोजन बनाना चाहिए। लेकिन कई लोग इस भोजन को केवल पूर्वज की तस्वीर के सामने रख देते है । जिससे हमारे पित्रगण भोजन को ग्रहण नहीं कर पाते। इसीलिए आप थोड़ा सा भोजन गाय ,कुत्ते

अथवा कौवे को अवश्य खिलाएँ। ताकी  यह भोजन आपके पूर्वजों को पित्रलोक में मिल सके ।

तीसरा उपाय पित्र पक्ष में पित्रों को खुश करने केलिए उनकी फोटो के आगे शुद्ध घी का दीया अवशय ही जलाए और अपनी भूल के लिए क्षमा याचना करें , इसके साथ उन पुण्य आत्माओं का आवाहन करें । आपके पित्र देव आपकी सभी गलतियों को माफ करके आपको आशीर्वाद प्रदान करेंगे, की आप जीवन में आगे बढ़ो और हमेशा धार्मिक काम करते रहो।

चौथा उपाय, यदि आप किसी कारण पित्र पक्ष श्राद नहीं कर पाते है ,तो पित्र पक्ष में दक्षिण दिशा में पित्रों के लिए एक धी का दीपक जलाए, इसके साथ गाय को रोटी खिलाकर उसका आशीर्वाद लें। आप जिस किसी स्थिति में फंसे हो ,आप  दक्षिण दिशा में मुख करके अपने पित्रगणों से माफ़ी मांग सकते है ।

पांचवा उपाय ,भगवान श्री कृष्ण स्वंय कहते हैं,की जो भी  व्यक्ति अपने मृत परिजनों की आत्मा की त्रितपी के लिए काले तिल कादान करता है।  वह व्यक्ति इस संसार के सभी पापों से मुक्त पाकर वैकुंठ में चला जाता है । इसीलिए अपने पित्रों का आशीर्वाद पाने के लिए।  आप पित्र पक्ष में तिल का दान अवश्य करें।  

छठा उपाय, पित्र पक्ष में भूल से भी नीम, बरगद और पीपल का पेड़ नहीं काटना चाहिए । इससे इंसान पित्र दोष से लिप्त हो जाता है। इसके अलावा पित्र पक्ष में भूलकर भी साँप को नहीं मारना चाहिए। सर्प को मारने वाले व्यक्ति को भी पित्र दोष का सामना करना पड़ता है । अगर गलती से आपके हाथों से कोई ऐसा काम हो जाता है, जिससे पित्र दोष लगता है । तो इस दोष से बचने के लिए पित्र पक्ष में एक पीपल का पेड़ लगाना चाहिए । जिससे आपके सारे दोष समाप्त हो जाएँगे।

सातवा उपाय पित्रों को प्रसन्न करने के लिए पित्र पक्ष में तुलसी को तिल मिश्रित जल चढाना चाहिए। इसके साथ ही भगवान  विष्णु से अपने पित्रों की शांति के लिए प्रार्थना करें।  और ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करें । इससे आपके समस्त मृत पुण्य आतमाए जिस किसी भी स्थान पर होगी ।  उनकी आत्मा को शांति का अनुभव होगा।

आठवा उपाय, यदि आपको अपने पित्रों की मृत्यु की तारिख मालूम नहीं है।  तो आपको पित्रों के लिए सर्व पित्र अमावस्या के दिन श्राद्ध कर्म करने चाहिए।  सर्व पित्र अमावस्या को पीपल के पेड़ के तने और जड़ में काले तिल, सफेद फूल तथा चंदन अर्पित करने से पित्र देव संतुष्ट हो जाते है।

अपने पित्रगणों के लिए कौनसे व्यंजन बनाने चाहिए।

चलिये भाइयों ,अब जान लेते है, की गरुड़ पुराण के अनुसार ऐसे वह कौन से व्यंजन या पकवान है ।  जो आपको अपने पित्रगणों के लिए बनाने चाहिए । सबसे पहले है, दूध और चीनी से बनी खीर बहुत ही शुद्ध होती है । जो की पित्रों को बहुत ज्यादा पसंद होती है। अगर पितरों के लिए आप बहुत सारे व्यंजन ना बना सके या आप गरीब हो या आपकी स्थिति अनुकूल ना हो,  तो पित्रों की आत्मा तृप्ति के लिए आपको खीर अवश्य बनानी चाहिए । आप इसमे सूखे मेवे डालकर पित्रों को भोग ल्गा सकते है। ऐसा करने से वे पवित्र आत्मायेँ आपके द्वार से खुश होकर लौटती है ।

दूसरी चीज है कद्दू की सब्जी ,गरुड़ पुराणमें बताया गया है, कद्दू की सब्जी पित्रों को पसंद होती है । क्योंकि कद्दू को सात्विक व्यंजन कहा जाता है। अगर जीवित अवस्था में किसी को कद्दू पसंद नहीं था। तो आत्मा बनने के बाद वो पसंदीदा सब्जी बन जाती है। क्योकि ये सात्विक व्यंजन में सामील है। कद्दू की सब्जी श्राद्ध पक्ष में प्रसाद के रूप में परोशी जाती है। अगर आप भी श्राद्ध का भोजन बना रहे हैं।  तो आपको निश्चित ही कद्दू की सब्जी बनानी चाहिए। तीसरी चीज शुद्ध घी को माना जाता है। इसलिए आप अपने पित्रों को घी से चोपड़कर रोटी दे सकते है। रोटी उन तक पहुँचाने के लिए आप रोटी के नीचे तोरी का पत्ता लगाए व रोटी पर दहि मिठाई ,और कद्दू की सब्जी डालें और छत पर रोटी रखकर आयें। और अपने फीतों का मन ही मन नाम जाप करें , और कागोश कागोश कहें। इसके साथ ही  दो छोटी रोटियां बनाकर गाय और कुत्ते को खिलाए । इससे आपके पित्र गण जिस भी रूप में धरती पर उपस्थित होंगे । वे तृप्त होकर आपको अवश्य आशीर्वाद देंगे।

 चौथी चीज है, पीली मूंग दाल और सफेद उड़द दाल, इन दो  दालों का उल्लेख गरुड़ पुराण में  किया गया है । जिसमें इन दो दालों से बनने वाले व्यंजन चाहे वह मीठे हो  या नमकीन अवश्य ही पित्रों के लिए बनाने चाहिए । अगर आप उनकी श्राद्ध तिथि पर इस व्यंजन को बनाते हैं । तो आपके मृतजन अत्यंत संतुष्ट हों जाएँगे । इसके साथ गेहूं के आटे से बनाई गई पूड़ी ले, जो की गुड़ से मीठी की हुई हो। इसके साथ ही चावल, चने और बेसन से बनी चीजें भी पितरों के लिए जरूर बनाएँ । ताकी हमारे पित्रगण प्रसन्न होकर ग्रहण कर सके।  

अपने पित्रों के लिए भोजन बनाने से पहलड़े ध्यान दें।

तो चलीय दोस्तों अब जानते हैं ,हमारे पित्रों के लिए भोजन कैसे बनाना चाहिए।  जैसे हम ईश्वर को चढ़ाने के लिए भोग या प्रसाद बनाते है उसी त्तरह उस प्रसाद को भी नहीं जूठना चाहिए। उसी प्रकार से हमें पित्रों का भोजन भी उन्हें अर्पण करने से पहले झूठा नहीं करना चाहिए । भोजन बनाने से पहले आप तन और मन से पूरी तरह से शुद्ध हो जाएँ ।  बिना स्नान किए आपको पित्रों का भोजन अर्पण नहीं करना चाहिए । जो स्त्री पीरियड में चल रही हो , उसे उस वक्त में उन्हें पित्रों के भोजन को नहीं बनाना चाहिए ।

क्योकि वो स्त्रियॉं के लिए अशुद्ध होता है। ऐसा भोजन देने से पित्र रुष्ट हो जाते है। उनको लगाया गया भोग अस्वीकारीय हो जाता है। पित्र भोजन बनाने से पहले रसोई घर की गंगाजल से सफाई जरूर करें और यदि गंगाजल ना हो तो साधारण जल का छिदकव करें । उसके बाद ही भोजन बनाना चाहिए । भोजन बनाने से पूर्व ओम पित्र देवाय नमः मंत्र का जाप करें ।  

पित्रों को किस प्रकार का भोजन नहीं चढ़ाना चाहिए।

आइए, अब जानते हैं, की पित्रों को किस प्रकार काभोजन नहीं चढ़ाना चाहिए । अगर जीवित अवस्था में किसी पित्रजन को मांसाहार पसंद था , फिर भी आपको अपने पित्रजन को कभी मांसाहार का भोजन नहीं चढाना चाहिए। किंतु ऐसा करना अनिष्ट काम माना जाता है, ऐसा काम करने से घर में कोई अनहोनी हो जाती है। जब

आपके पूर्वज पित्र लोक में प्रवेश करते हैं ,तो उनका भोजन सात्विक बन जाता है। पित्रों के लिए केवल सात्विक भोजन ही बनाकर भोग लगाएँ, तामसिक व्यंजन जैसे प्याज अदरक और लहसुन आदि का प्रयोग श्राद पक्ष में करने से बचें। हो सके तो आप 16  दिनों तक तामसिक भोजन का उपयोग न करें।  ऐसा भोजन पित्र देव स्वीकार नहीं करते हैं । पित्र पक्ष के दौरान कभी अपने घर के या बाहर वाले किसी भी बुजुर्ग का अपमान न करें ।  ऐसा करने से साक्षात पित्रों का अपमान होता है इससे हमारे पित्र रूठ जाते हैं।  और हम उनके आशीर्वाद से वंचित रह जाते हैं पित्र पक्ष में अपने बड़े बुजुर्गों को सम्मान देना चाहिए।  उनके हाथों से दान धर्म और दक्षिणा करानी चाहिए, और अधिक से अधिक पशुओं को चारा देना चहाइए।  ऐसा करने पर मनुष्य को श्रेष्ठ

फल की प्राप्ति होती है।  तो आइए अब जानते हैं,की पित्र पक्ष में कौन से कार्य नहीं करने चाहिए । शास्त्रों के अनुसार पित्र पक्ष में पित्र देवता हमारे घर में परीक्षा लेने के लिए किसी भी रूप में पधार सकते हैं ।वो पशु या पक्षी के रूप में भी हो सकते है।  इसलिए घर के द्वार पर आए किसी भी पशु या व्यक्ति का अपमान न करें । दहलीज पर आने पर किसी भी शख्स को भोजन कराएं, और आदर करें । यदि घर के द्वार पर कोई गौ माता अथवा कोई कुत्ता आता है । तो उसे कभी भगाना नहीं चाहिए । भगाने की जगह उसे मान समान के साथी रोटी खिलाये और, जिस प्रकार हम अपने पूर्वजों का समान करते है। उसी प्रकार उसका भी सम्मान करें ।

दूसरी बात , पित्र पक्ष के दौरान मांस और लहसुन प्याज आदि चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए । नहीं तो आपके पूर्वज आपसे नाराज हो सकते है।  श्राद के 16 दिनों तक केवल  सात्विक आहार ही करें । अपने पितरों को भी सात्विक आहार का भोग चढ़ाए, तीसरी बात है, गरुड़ पुराण के अनुसार किसी तीर्थ स्थान पर पितरों के तर्पण और श्राद्ध का विशेष महत्व होता है।  ऐसी मान्यता है कि गया और बद्रीनाथ या प्रयाग में श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो लोग भगवान की नगरी में नहीं कर सकते, वे लोग अपने न घर के किसी भी पवित्र स्थान पर कर सकते हैं । भूलकर भी पित्रों का श्राद्ध शाम के समय अथवा रात्रि के समय कभी नहीं करना चाहिए। उनकी पूजा सुबह के समय या दोपहर से पहले करनी चाहिए रात्रि में आवाहन करने में नकारात्मक शक्तियां घर में प्रवेश कर सकती है । जो पित्र प्रेत योनि में होते हैं । पित्रों के साथ नकारात्मक शक्ति  भी हमारे घर में घुस जाती है। जिसके कारण हमारे घर में लगातार दुर्घटनाएं होने लगती हैं।  

चौथी बात पित्र पक्ष में कर्मकांड करने वाले व्यक्ति को बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए। यहा तक की दाड़ी भी नहीं काटनी चाहिए। पांचवी बात, पित्र पक्ष के दौरान कभी किसी बुजुर्ग का अपमान नहीं करना चाहिए।ऐसा माना जाता है की ऐसा करेने से हमारे पित्र रुष्ट हो जाते है। जिसके कारण वो  हमे बिना आशीर्वाद दिये ही घर से विदा ले लेते है।  बुजुर्गों के हाथों से धर्म का कार्य करवाने चाहिए । तथा उनके हाथों से दान धर्म करना चाहिए।  ऐसा करने पर मनुष्य को श्रेष्ठ फलों की प्राप्ति होती है । छठी बात है, उसे भूलकर भी दिन रात को श्राद नहीं करना चाहिए। इन 16 दिनों के अंदर व्यसन करने से बचें।

कभी भी शराब के नशे में पित्रों की पाठ पूजा नहीं करनी चाहिए । और ना ही इन 16 दिनों में शराब पिये। ऐसा करने से पित्रगण रुष्ट होकर दूर चले जाते है । और बिना आशीर्वाद दिये ही , पित्रलोग चले जाते है । इसलिए ष्राद पक्ष में इन नियमों का बखूबी से ध्यान रखें। उम्मीद है की आपको श्राद से जुड़ी जानकारी अछी लगी होगी। हमे कमेंट बॉक्स में बताएं। हम उस गलती के प्रश्चाताप के लिए कोई न कोई उपाय जरूर बताएंगे । अ

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