सपने में हाथी दिखाई दिया, बाद में मेरा भाग्य कैसे बदला, एक रोचक कहानी
दोस्तों अगर आपको सपने में हाथी दिखाई देता है, तो इसका क्या अर्थ होता है। प्राचीन काल से ही हाथी को बुद्धिमत्ता ज्ञान और धन वैभव से जोड़कर देखा गया है । हाथी का संबंध माँ लक्ष्मी से भी है। लेकिन सपने में हाथी देखने के कई अर्थ हो सकते है, कुछ शुभ होते है, जबकि कुछ अशुभ , इस प्राचीन कथा के माध्यम से जान लेते है, की सपमे में किसी व्यक्ति को हाथी के दर्शन होते है ,तो उसका क्या मतलब होता है। प्राचीन काल की बात है। मध्य के सूदूर गाँव के हरे भरे पहाड़ियों और घने जंगलो के बीच के नगर में , एक गरीब व्यक्ति रहता था। जिसका नाम देवदास था । देवदास एक साधारण व्यक्ति था, जो अपने सरल स्वभाव और सीमित संसाधनों से बिलकुल संतुष्ट था, उसे विलासिता की कोई इच्छा नही थी।
वह हर दिन धूप में शारीरिक मेहनत करके अपने परिवार के लिए इतना धन कामाता की जिससे अपनी गरीब माँ और खुद का पेट भर सके। देवदास का जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ था,लेकिन उसे अपने जीवन से कोई शिकायत नहीं थी , वह मुस्कान के साथ इस जीवन को स्वीकार कर चुका था । एक रात देवदास जब थकावट भरे दिन के बाद , अपने तिनकों से बने टूटे फूटे बिस्तर पर लेटकर गहरी नींद में सो रहा था। तब उसने एक विचित्र सपना देखा। उसने खुद को एक विशाल खुली जमीन पर खड़ा हुआ पाया । खुले नीले आसमान में सुंदर तारे और चंद्रमा चमक रहे थे। फिर उसने सामने देखा की एक शानदार हाथी दूर से चलकर उसकी तरफ आ रहा है ।
उसके दाँत चाँदी की तरह चमक रहे थे। हाथी धीरे धीरे बिना आवाज किए हुए देवदास की तरफ बढ़ रहा था। हाथी के बड़े बड़े पैर जमीन पर एक लयबद रेखा बना रहे थे। जब हाथी पास आया ,तो देवदास ने देखा ,की हाथी की आंखे उस पर जमी हुई थी, जैसा की वह हाथी उसे जानता हो । और वह उसी के लिये आया हो। हाथी देवदास के आगे रुका और सामने सर झुका दिया। जैसे की वह चाहता हो की देवदास उसकी पीठ पर सवार हो जाये। जैसे ही देवदास ने अपना दायाँ हाथ ,हाथी के माथे पर रखा। उसके शरीर में एक सन्नाटा सा दौड़ गया और उसे अचानक से शक्ति साहस और महानता का आभास होने लगा। उससे पहले की वह हाथी की पीठ पर चढ़ पाता ।
उसकी नींद टूट गई। और अचानक देवदास जाग गया और उसका सपना टूट गया, जागने के बाद भी उस विशाल हाथी की छवि उसकी आँखों में ताजा थी, जैसे की वो अभी भी देवदास को पीठ पर बैठने के लिए आमंत्रित कर रहा हो। देवदास उठकर अपने बिस्तर पर बैठ गया, और उसका दिल तेजी से धडक रहा था। सपना इतना वास्तविक और स्पस्ट महसूस हुआ, की जैसे सारी घटना वास्तविक हो, इस सपने ने उसे गहराई से बेचेन कर दिया। देवदास ने अपनी अंखे मली ताकी इस सपने की याद धुंधली हो जाये। । लेकिन उस महान हाथी की छवि उसके विचारों में बनी रही, वह चाहकर भी उस छवि को नहीं भुला पा रहा था। अपने पास जल रहे छोटे से दीपक की और देखते हुए, उसने सोचा की इस सपने का क्या अर्थ हो सकता है।
एक हाथी कितना भव्य और महान है। जो मेरे सपने में आ रहा है, लेकिन क्यों। इसका क्या कारण हो सकता है। सुबह देवराज ने उठने के बाद अपनी माँ के चरण स्पर्श किए और उसने यह फैसला किया, की वह रात में देखे गए सपने के अर्थ का पता लगाएगा। क्योकि यह सपना उसे अंदर से बेचेन कर रहा था । वह इस सपने को चाहकर भी नजर अंदाज नहीं कर पा रहा था । वह एक बुद्धिमान ऋषि विभाण्डकदास को जानता था, जो पास के एकांत जंगल में रहकर तपस्या करते थे, वो वास्तु शास्त्र और स्व्पन ज्ञान की गहरी समझ रखते थे ।
सपने में हाथी देखना कैसा होता है विडियो देखें
देवदास ने मन ही मन सोचा, अगर कोई मेरे इस सपने को समझने में मदद कर सकता है तो वह एक मात्र वही विभाण्डकदास ऋषि है। उसने अपनी माता से इजाजत ली और अपने मन के द्रड संकल्प के साथ वह जंगल से होकर उस ऋषि की दिशा में चल पड़ा। उस जंगल में ऊंचे ऊंचे वृक्ष थे, जो सूरज की रोशनी को भी रोक रहे थे। जंगल की हवा में मिट्टी और पत्तियों की एक अजीब सुगंध थी। जो आध्यात्मिक वातावरण पैदा कर रही थी , पेड़ों के बीच से पक्षियों की डरावनी आवाज गूंज रही थी। इस प्रकार दिल दहलाने वाली जंगल की लंबी यात्रा के बाद आखिरकर वह ऋषि की कुटिया तक पहुँच ही गया। कुतिया जंगली फूलों और बेलों से घिरी हुई थी।
जब देवदास ऋषि विभाण्डकदास के पास पहुंचा, तो उसने देखा की, महर्षि ध्यान में बैठे थे। जिनकी आयु सेंकड़ों वर्ष पार थी। उनकी लंबी सफ़ेद दाड़ि , लालट पर गहरी रेखा ,ज्ञान से भरी चमकदार आंखे थी। देवदास ऋषि के सामने बैठ गया और,ध्यान मुद्रा की समाप्ती की प्रतिक्षा करने लगा जब ऋषि विभाण्डक ने ध्यान मुद्रा से अपनी आँखें खोली, तो उनमे शांति का अनुभव था। जब उस ऋषि ने अपनी आंखे खोली तो देवदास ने अपने दोनों हाथ जोड़कर विभान्डकदास जी महाराज को प्रणाम किया, और कहा प्रणाम गुरुदेव, में आपके पास एक मार्गदर्शन की खोज में आया हूँ। कृपया करके मेरा मार्गदर्शन कीजिये, क्योकि मेंने कल एक सपना देखा । जो मेरे मन को बहुत ज्यादा विचलित कर रहा है। ऋषि ने सर हिलाते हुए इशारा किया, की देवदास उनके पास बैठ जाये ।
ऋषि ने कहा, हे वत्स , अपने सपने के बारे में मुझे विस्तारपूर्वक बताओं। सपने में अक्सर देवताओं के संदेश होते है। जो हमारे लिए आदेश का काम करते है, लेकिन सपनों का अर्थ हमेशा स्पष्ट नहीं होता है। एक गहरी सांस लेते हुए देवदास ने सपना गुरुदेव को विस्तारपूर्वक बताना शुरू किया। उसने विस्तृत मैदान, चाँदनी रात ,और सजा हुआ महान हाथी जो उसकी और बढ़ रहा था। सपने की सभी घटनाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन किया। उसने बताया ,की कैसे एक हाथी ने उसके सामने झुककर ,अपनी पीठ पर चढ़ने के लिए आमंत्रित किया ।
कैसे उसने शक्ति और साहस का अनुभव किया, और कैसे सपना अचानक से समाप्त हो गया। ऋषि ने ध्यानपूर्वक सुना, उनकी आँखें बंद थी, जैसे की वे खुद इस सपने को देख रहे हो। लंबी चूपी के बाद आखिर ऋषि ने अपनी आंखे खोली और कहा। देवदास तुम्हारे सपने में जो हाथी आया है। वह बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण संकेत को दर्शाता है। इतना भव्य प्राणी देखना कोई साधारण बात नहीं है। वह देवताओं का संकेत है। हाथी ज्ञान शक्ति और राजसीत्व का प्रतीक है। देवदास तुम्हारा सपना ये संकेत दे रहा है, की तुम महानता के लिए बने हो । आगे चलकर तुम एक महान राजा बनने वाले हो। ऋषि के शब्दों से अभिभूत देवसास ने अविसवास में अपना सिर हिलाया, और ऋषि से प्रशन किया ।
महाराज ये कैसे हो सकता है। उसकी आवाज संदेश से भरी हुई थी। में तो केवल एक गरीब आदमी हूँ ,जिसके पास नाम के लिए ये कपड़े है। और बीमार माँ का प्यार है। में कैसे महानता के लिए बना हो सकता हूँ। में कैसे किसी नगर का राजा बन सकता हूँ। ये असंभव लगता है। ऋषि ने धीरे से मुसकुराते हुए देवदास की तरह देखा , उनकी आँखों में गज़ब की चमक व होठों पर मंद मुस्कान थी। उन्होने कहा ,हे देवदास सपने देवताओं के संकेत होते है और वो बड़े ही रहस्यमयी होते है , ये सपने धन और स्थिति के आधार पर व्यक्ति को नहीं चुनते । बल्की हदय की पवित्रता और आत्मा की सुद्धता के आधार पर चुनते है । चाहे तुम मानों या ना मानों । तेरे भाग्य का चक्र पहले ही घूम चुका है। हाथी ने तुम्हें चुना है, और तुम्हारा भाग्य एक राज्य के सीघासन से बंधा है। देवदास सत्ब्ध होकर बैठ गये। ऋषि के शब्द देवदास के मन में गूंज रहे थे।
क्या ये वास्तव में हो सकता है। क्या एक राधारण व्यक्ति राजा बनने के लिए निर्धारित हो सकता है। ये असंभव प्रतीत हो रहा था। फिर भी ऋषि इतनी निश्चितता से कह रहे थे। देवराज का मन इसे खारिज करना चाहता था , लेकिन ये शब्द महर्षि विभाण्डकदास जी के थे, इसलिए वह इसे पूरी तरह से खारिज नहीं कर पा रहे था। ऋषि ने कहा ,हे वत्स, ये याद रखना , सपनों को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए। , सपने देवताओं की भाषा होते है। सपना हमारे साथ संवाद करने का तरीका , सपना हमारे जीवन का एक मार्गदर्शक है । वह हाथी उस पथ का प्रतीक है , जिस पर आपको चलना है।
देवताओं की इच्छा पर भरोषा करो, और जब समय आएगा, तब तुम जान जाओगे, की तुम्हें क्या करना है। देवदास ने ऋषि को कृतग्यता से धनयवाद दिया । उसके दिल में अभी संदेह था। लेकिन साथ में उसके मन आशा की किरण भी चल रही थी, वह गाँव लॉट आया उसके मन में विचार का बवंडर था। की उसका भविष्य कैसा होगा, क्या वो एक वास्तविक राजा बनेगा,अगर बनेगा तो वो राज्य को कैसे संभाल पाएगा। देवदास जिस नागरी में वास करता था। उस नगरी के राजा चंद्र सेन थे। जो अत्यंत वर्द्ध थे, उनकी कोई संदान नहीं थी। वो धर्म सत्य और न्याय के लिए प्रसिद थे। उन्होने जीवन भर अपनी प्रजा की भलाई के लिए अनेकों काम किए, और राज्य में समृद्धि और शांती स्थापित की । फिर एक रात राजा चन्द्र्सेन को भी एक विचित्र सपना दिखाई देता है। गहरी नींद में राजा ने भी एक सपना देखा,
लेकिन राजा का सपना देवदास के सपने के बिलकुल विपरीत था ,राजा चंद्र सेन का सपना डरावना था। उसने सपने में हाथी को कमज़ोर व बीमार अवस्था में देखा , उसकी भव्यता बस उसकी छाया पर थी । वह विशालकाय हाथी लड़खड़ाता हुआ राजा की आँखों के सामने जमीन पर धड़ाम से गिर गया , और उसकी सारी शक्तियाँ खतम हो गई । फिर राजा चंद्रसेन ठंडे पसीने के साथ जाग गए । उनका दिल मौत के डर से काँप रहा था । उन्हे पता था की सपने देवताओं के संदेश होते है। और उन्हे ये सपना डरावना लगा, राजा ने अपने आप से कहा, की इसका क्या अर्थ हो सकता है। उनके हाथ काँप रहे थे। उन्होने गहनता से सोचते हुए अपने माथे का पसीना पोंछा और सोचा ,आखिर देवताओं ने मेरे को ऐसा सपना क्यों दिखाया। देवता क्या संदेश देना चाहते है। सुबह जागते ही राजा चंद्रसेन ने अपने राजगुरु अंगीरक को बुलाया, अंगीरक बुद्धिमता और ज्ञान के लिए प्रसिद्द थे।
राजगुरु जल्दी से आए और राजा की तात्कालिकता को महसूस करते हुए कहा। हे राजन में आपकी सेवा में हाजिर हूँ। आप बड़े चितित नजर आ रहे है। कृपया करके आप अपनी चिंता का कारण बताएं । राजा चंद्रसेन ने अपने सपने में देखे गए दृशय का संजीवन वर्णन किया ।जिसमे एक बीमार हाथी चंद्रसेन के सामने धरासाई हो जाता है, ये सपना अभीश्राप की भावना के बारे में बताता है। जिसने उन्हे जकड़ लिया था। राजा ने विनम्रता से कहा, हे गुरुवर आज मेरे को जो भयानक सपना दिखाई दिया है, उसका क्या अर्थ है। क्या यह कोई अपसगुण है। राज गुरु ने ध्यानपूर्वक सुना , और राजा के चेहरे की गंभीरता पढ़ी कुछ क्षणों के ध्यान के बाद उन्होने दुख भारी आंखो से राजा की तरफ देखा और कहा।
और मन ही मन सोचने लगा की राजा को सपने की वास्तविकता कैसे बताऊँ, फिर अपने राजधर्म के बारे में सोचने लगे, की में वही बोलूँगा जो वास्तविक है, चाहे राजा दुखी ही क्यों ना होये, फिर राजगुरु ने कहा ,हे राजन आपका ये सपना देवताओं की चेतावनी है। हाथी शक्ति विरासत और शासन का प्रतीक है। उसका गिरना आपके जीवन और शासन के अंत की भविष्यतवनी करता है। देवताओं ने ये दृशय भेजा है। ताकी आपको आने वाले समय के लिए तैयार किया जा सके । राजा चंदर्सेन का दिल टूट गया। निराशा की एक ठंडी लहर ने राजा को घेर लिया । राजा चंदर्सेन ने घबराते हुए कहा। मेरे जीवन का अंत , ये कैसा हो सकता है। हे राजगुरु मेरा तो कोई उतराधिकारी भी नहीं है।जो मेरे मरने के बाद इस सिंहासन पर बैठे, अब मेरे राज्य का क्या होगा।
राजगुरु जो बुद्धिमान और विचारसील थे। उन्होने राजा को सलाह देने से पहले कुछ क्षण सोचा, फिर बड़ी सावधानी से कहा। महाराज देवताओं ने आपको जो दृशय दिखाया है, उसी से आपके प्रशन का उतर भी छीपा है । हे राजन जब आपका इस संसार से विदा लेने का समय आयेगा , आप अपने मंत्रियों को ये संदेश देना, की आपका सबसे प्रिय हाथी राज्यपाल है, वही अगला राजा स्वंय चुनेगा। वह हाथी देवताओं की इच्छा से प्रेरित होगा, और वह आपके राजय के लिए एक उतरदायी व्यक्ति को चुनेगा। जो आपके राजय का नया राजा होगा। इस प्रकार आपका राज्य बिना शासक के नहीं रहेगा । और देवताओं की इच्छा भी पूर्ण हो जाएगी । राजा चंदर्सेन अपनी मृत्यु की खबर से काफी दुखी था।
प्रजा की भलाई छाने वाले राजा ने राजगुरु की आज्ञा को सिरोधरी समझा ,और स्वीकृती देदी। उन्होने राजगुरु से कहा , हे गुरु आप जो कहते है ,वो सत्य ही होगा। में आपकी आज्ञा का पालन अवशय ही करूंगा। देवताओं के मार्गदर्शन से मेरा हाथी राजपाल ही मेरे राज्य का अगला राजा चुनेगा। और इस प्रकार परलोक सिधारने से पहले राजा , चंद्रसेन ने अपने मंत्रियों को इकठ्ठा किया, और उन्हे गुरुवार का आदेश का पालन किया। हालांकी इस सामान्य आदेश से मंत्रीगण उलझन में थे । किंतू ये राजा का दृद आदेश था, इसलिए उनहोने राजा की इच्छा का सम्मान करने की कसम खाई।
कुछ दिनों बाद राजा चंद्र सेन शांती के साथ इस दुनिया से विदा हुए। उनकी आत्मा इस नसवार संसार से प्रस्थान कर गई । राजा की प्रजा ने राजा की मृत्यु का सोक मनाया, मंत्रियों ने जैसे की निर्देशित था। राज्य में लोगों को घोसना करते हुए उन्होने समस्त प्रजा को बताया, की राजा का हाथी ही अपना अगला शासक चुनेगा। नियुक्ति के दिन पर, दुनिया के सभी कोनों से लोग महल के पास एकत्रित हो गए। हर कोई चुने जाने की उम्मीद लेकर राजय में आया था। कुछ लोग अपने सबसे अच्छे कपड़े पहनकर आए थे
जबकी कई दूसरे लोग देवताओं की कृपा पाने के लिए उपहार भी लेकर आए थे। उनके बाद, राजा के प्रिय हाथी राजपाल को राजशी वस्त्र और गहनों से सजाकर लाया गया । उसका बड़ा भव्य रूप भीड़ पर एक लयबद्ध छाया डाल रहा था। लोग उत्सुकता से देख रहे थे । । जब हाथी धीरे धीरे भीड़ से गुजर रहा था, उसके विशाल पैर जमीन पर एक लयबद रेखा बना रहे थे। उसने हर व्यक्ति के सामने तहराव लिया, उसकी बड़ी बड़ी आंखे सभी लोगों को देख रही थी। जैसे की आए हुए सभी व्यक्तियों की कीमत तोल रहा हो। कुछ लोग भीड़ में हाथी को छूने के लिए पहुँच। जबकि अनय चुने जाने की उम्मीद में धीरे से भगवान से प्रथना कर रहे थे। लेकिन हाथी ने किसी को नहीं चुना । वहाँ पर शानदार कपड़े पहने हुए धनी व्यापारियों, कुलीनियों, यहाँ तक की धर्मनिष्ठ पुजारियों के पास से भी हाथी गुजर गया , हाथी ने किसी में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, मंत्रियों ने चिंता करनी शुरू कर दी। क्योकि हाथी भीड़ में बिना किसी को चुने ही घूम रहा था।
लोगों में संदेह की फुसफुसाहट फ़ेल गई। लोग सोच रहे थे, की क्या ये हाथी कोई राजा नहीं चुनेगा। अंत में हाथी उस सभा के किनारे पर रुक गया। उसने भीड़ में खड़े देवदास को पाया, जो ना तो राज बनने की ऊमीद में आया था ,और ना ही किसी उपहार के लिए, बलकी ये तो केवल जिज्ञासा से आया था। दूसरों के विपरीत देवदास ना तो संदर कपड़े पहने था, और ना कोई उपहार लाया था । वह विनम्रता से खड़ा था। साधारण वस्त्र पहने व हाथ जोड़कर खड़े हुए देवदास की तरह हाथी ने अपनी सूंड बढ़ाई और उसके गले में हार पहना दिया। भीड़ ने चेन की सांस ली, मंत्रियों ने इस दिवय चयन को देखते हुए देवदास को नया राजा घोसीत किया। इस विचित्र दृशय को देखकर देवदास अभिभूत हो गया। उसके दिमाग में इस आदितय घटनकर्म की गूंज थी ।
उसने सोचा ये कैसे हो सकता है। मैं और अगला राजा , उसका दिल तेजी से धडक रहा था। उसने सोचा में तो एक गरीब आदमी हूँ, राजा बनने योग्य कैसे हो सकता हूँ, लेकिन जब वो हाथी की पीठ पर बैठा तो, एक अजीब सी शांती ने उसे घेर लिया, जिसे की देवताओं ने खुद इसे आसवासन दिया हो, की यही उन देवताओं की नियति है । वहाँ पर उपस्थित सभी लोग आश्चर्यचकित थे, , लेकिन उन्होने हाथी के निर्णय को देवताओं की इच्छा मानकर स्वीकार कर लिया , और उसे नए राजा के रूप में मान्यता दे दी, मंत्रियों ने देवदास के सामने झुककर निष्ठा की सपथ ली, इस प्रकार देवदास को महल ले जाया गया। वहाँ उसी दिन उसका राज्याभिषेक कर दिया गया, दिन बीतने के साथ देवदास ने अपने जीवन को एक राजा के रूप में ढालने की कौशिश की, देवदास के लिए इतना बड़ा परिवर्तन आसान नहीं था। वह साधारण जीवन का आदमी था।
वह मनचाही विलासिता और भवयता का आदि नहीं था। लेकिन राजा बनने के बाद भी उसका दिल विनम्र रहा, उसने पहले के राजा की सेवा करने वाले सभी लोगों से मार्गदर्शन मांगा। राजा बनने के बाद उसकी पहली क्रियाओं में से एक उस ऋषि को ढूँढना था, जिसने उसकी नियती का पूर्वानुमान लगाया था, ऋषि के शब्दों की समृति उसके साथ रही, और वह उस ऋषि के प्रति गहरी कृत्यज्ञता महसूस कर रहा था। जिसने उसके सपने के महत्व को समझने में मदद की, देवदास ने ऋषि की कुटिया पर पहुँचते ही, देवदास ने झुककर कहा, हे मुनिवर में अब एक राजा हूँ, जैसा की आपने भविष्यवाणी की थी , लेकिन में अभी भी अपने सपने का अर्थ पूरी तरह से नहीं समझ पाया हूँ । हाथी को सपने में देखना किस बात का प्रतीक है।
ऋषि ने दयालु मुस्कान के साथ देवदास का स्वागत किया, और उसे बैठने का इशारा किया, ऋषि ने कहना शुरू किया , उनकी आवाज मृदुल लेकिन ज्ञान से भरी हुई थी। हे देवराज, हाथी एक शक्तिशाली प्रतीक है, विशेषकर सपनों की दुनिया में, इसके कई अर्थ हो सकते है। जो सपनों की परिस्थिति और दृष्टा के जीवन पर निर्भर करते है। ऋषि ने आगे कहा, हेर वत्स जो कोई सपने में हाथी की सवारी करता है, वह अक्सर महानता के लिए तैयार होता है। एक शासक या एक महान शक्तिशाली व्यक्ति बनने के लिए , ये इसलिए होता है, की हाथी ज्ञान शक्ति और महानता का प्रतीक है। ये वो गुण है जो एक नेता में आवशयक होते है। जब तुमने सपने में हाथी के माथे पर हाथ रखा था, तुमने वो शक्ति और ज़िम्मेदारी स्वीकार की थी। जो देवता आपको दे रहे थे। देवदास ने ध्यानपूर्वक सुना , उसका मन हर एक शब्द को ग्रहण का रहा था, उसने ऋषि से पूछा , हे मुनिवर लेकिन कोई व्यक्ति हाथी को अपने से दूर भागते हुए देखता है, या उस पर हमला करते हुए देखता है ।
तो इसका क्या अर्थ होता है। ऋषि ने अपना सर हिलाया और देवदास के सवालों की गंभीरता को समझते हुए कहा, हे वत्स यदि कोई व्यक्ति सपने में हाथी को अपने से दूर भागते हुए देखता है, तो ये सपना धन और समृद्धि के नुकसान का संकेत देता है। इसके बाद आपसे समृद्धि और प्रतिष्ठा छीनी जाएगी । उन्होने देवदास को यह समझने का समय दिया ,और आगे बोले, हे वत्स यदि कोई हाथी आप पर हमला करता है। तो इसका मतलब है की तुम लंबा जीवन जीने वाले है। क्योकि ये हमला एक चुनौती का परीक्षण है।
जो तुम्हारी आत्मा को मजबूत करेगा, और तुम्हारी सहनशक्ति की परिक्षा लेगा। और यह इस बात का संकेत है ,की देवता मानते है, की तुम आगे आने वाली बाधाओं के लिए पर्याप्त मजबूत हो। ऋषि की आवाज धीरे धीरे नरम हो गई। जैसे की वो एक और गंभीर व्याख्या साझा करने वाले हो । उन्होने कहा ,हे वत्स अगर कोई सपने में हाथी को मरते हुए देखता है। तो यह एक अशुभ संकेत होता है। ये सपना दृष्टा की मृत्यु या खुद के जीवन में महत्वपूर्ण चीज के अंत की भविष्यवाणी करता है। हालांकि जो शक्ति और जीवन का प्रतीक होती है, जीवन के सार का प्रतिनिधित्व करती है । उसकी मृत्यु एक बड़े परिवर्तन का संकेत होता है।, जो अक्सर दुखद होता है। इस विचार को सुनकर देवदास काँप गया। उसने पूछा , हे मुनिवर राजा चंद्रसेन के सपने के बारे में क्या, राजा ने सपने में ऐसा क्या देखा,की जिससे उसकी मृयु की भ्विष्यवाणी हुई।
ऋषि ने गंभीरता से कहा। राजा चन्द्रसेन का सपना देवताओं का स्पस्ट संकेत था। हाथी का गिरना उसके शासन और जीवन के अंत का संकेत था , हर सपना अपनी सच्चाई को समेटे हुए होता है। और उस सच्चाई को बुद्धिमानी और सावधानी से व्याख्या करणी चाहिए। राजा चन्द्रसेन ने देवताओं की भविषयवाणी को सुना और समय पर उचित निर्णय लिया, जिसके चलते यह सुनिश्चित किया ,की राजय का कोई उतराधिकारी है, देवदास ने धीरे धीरे सर हिलाया ,अपने नए उतरदायित्व का बोध, और अधिक महसूस करते हुए, अब में समझ गया हूँ, उसने कहा, नई दृढ़ता के साथ देवताओं ने मुझे नहीं चुना है, वो मेरे धन व स्थ्ति नहीं बलकी मेरे दिल की शक्ति और मेरे इरादों की पवित्रता के लिए मेरे को चुना है।
में इस राजय पर उसी विनम्रता और दयालुता के साथ सासन करूंगा, जिसने हमेशा मेरे जीवन का मार्गदर्शन किया है। ऋषि मुस्कुराए उनकी आँखें स्वीकृति से भरी हुई थी। जानबूझकर देवताओं ने तुम्हें चुना है। देवदास इस बात को हमेशा याद रखना। में एक राजा का मूल्यांकर उसके धन या उसकी शक्ति से नहीं किया जाता है । बलकी इस बात से होती है, की वह अपने लोगों की कितनी देखभाल करता है। और देवताओं की इच्छाओं को कितना पालन करता है। अपने राजय की सेवा करों और तुम एक एसी विरासत छोड़ जाओगे। जिसे कई युगों तक याद रखा जाएगा। इसके बाद देवदास एक नए उदेशय के साथ अपने महल लौट आया , उसने अपने राजय पर उतने ही विनमता के साथ शासन किया , जैसा की हमेशा उसने दिखाया था, ऋषि की बुद्धिमता और उसके सपने में हाथी की रहशयी शक्ति द्वारा निर्देशित उनके शासन काल में, राजय फलने फूलने लगा। और लोग शांती व समृद्धि से जीवन जीन लगे। गरीब आदमी के राजा बनने की कहानी देश भर में फ़ेल गई।
इस कहानी को सुनने वाले सभी के भाग्य के अजीब और अद्भूत रहशयों की याद दिलाई। और सपनों के माधयम से आने वाले शक्तिशाली संदेशो के बाद ,देवराज ने अपनी विनम्रता को कभी नहीं भुलाया। वह अभी भी सरल जीवन जीता और अपने धन को गरीबों और जरूरतमंदों के साथ सांझा करता ,और बुद्धिमानो की सलाह लेता, इस प्रकार देवताओं के द्वारा चुने गए विनम्र आदमी देवदास की कहनी एक ऐसी कथा बन गई, जिसे दादा दादी अपने बच्चों को सुनाते , जिससे बच्चों में सकारात्मक शक्ति का संचार होता है । दोस्तों इससे हमे पता चलता है, की सपने में हाथी देखना कैसा होता है। दोस्तों अगर आपको अपने सपने का अर्थ मिल गया है । तो कमेंट बॉक्स में जय माँ लक्ष्मी जरूर लिखें।
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