Which trees not good for home according to vastu कौनसे पौधे अशुभ होते है – नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है, हमारे ब्लॉग sapnemein.com में। एक समय की बात है। भगवान श्री कृष्ण के मित्र उनसे मिलने के लिए द्वारिका नगरी पधारते है तब भगवान श्री कृष्ण उनका दिल से स्वागत करते हैं। और उनके आने का कारण पूछते हैं, भगवान श्री कृष्ण के मित्र उनसे कहते हैं। हे मित्र तुम तो सर्वज्ञ हो, तुम सजह विराजमान हो, आप सब कुछ जानते हो । इसलिए आज मैं आपके पास यह जानने के उद्देश्य से आया हूं , कि मनुष्य को किन-किन वृक्षों का रोपण करना चाहिए।
कौन से वृक्ष हमारे घर के सामने लगाने चाहिए। किन वृक्षों का रोपण करने से घर से दरिद्रता और गरीबी दूर होती है । तथा शत्रु ,रोग ,भय, भूत व पिशाच आदि संकटों से बचने के लिए। कौन कौन से वृक्ष हमारे घर की सीमा में लगाने चाहिए । भगवान श्री कृष्ण मुस्कुराते हुए कहते हैं। हे मित्र तुमने आज जो प्राशन किया है वो बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योकि आपके प्रशन में सम्पूर्ण मानव जाती का कल्याण छूपा है। इस धरती पर वृक्षों का बहुत ही बड़ा योगदान है। वृक्ष सदा ही पूजनीय रहे है। किंतु आज तुमने मानव जाती के उत्थान के लिए उचित ही प्रश्न किया है।
भवन की सीमा में वृक्षों को लगाना बहुत ही शुभ फल प्रदान करता है। वृक्ष तथा पौधे भवन की सुंदरता को बढ़ाने के साथ साथ वातावरण को भी शुद्ध रखते है। वृक्ष हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते है। जो मनुष्य के जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक होती है। वृक्ष नकारात्मकता को कम करके वातावरण को अधिक सकारात्मक वातावरण बनाने का कार्य करते हैं। घर के सामने शुभ पेड़ पौधे लगाने से घर में सुख समृद्धि आती है ।
साथ ही यह पेड़ पौधे कई प्रकार के वास्तु दोषों को दूर भी करते हैं। घर के आंगन में खड़े वृक्ष देवताओं की भांति घर की रक्षा करते हैं। हे मित्र भवन के पास कौन से पौधे लगाने चाहिए और कौन से नहीं , इसके बारे में बताने से पूर्व मैं तुम्हें एक प्राचीन कथा सुनाता हूं। जिससे तुम्हें समझ में आ जाएगा ,कि वृक्षों का तथा पेड़ पौधों का घर के पास लगाना कितना शुभ होता है । और कौन से पौधे भवन के पास लगाने से दुख एवं दरिद्रता आती है।
जो भी मनुष्य इस कथा सच्चे मन से सुनेगा और नियमों का पालन करेगा उसके सैकड़ों पाप नष्ट हो जाएँगे, और उसकी दरिद्रता का भी नाश हो जाएगा। भगवान श्री कृष्ण का मित्र कहता है, हे केशव मैं इस कथा को अवश्य ध्यान से पूरा सुनूंगा, कृपया मुझे वह कथा सुनाओ, भगवान श्री कृष्ण कहते हैं। हे सखा आज से हजारों साल पहले की बात है, उतर पश्चिम दिशा में एक देश में एक अत्यंत सुंदर नगरी थी,नगरी का नाम सरोजनी नगर था।
उस नगरी में राघव नाम का वैश्य अपनी पत्नी सुफला के साथ निवास करता था, राघव भगवान विष्णु का भक्त था और वह नित्य भगवान विष्णु की पूजा करता था। सघव की पत्नी सुफला भी सुशील और गृह कार्य में दक्ष थी ।
घर में धन धान्य की कोई कमी नहीं थी, भगवान की कृपा से उसके पास सब कुछ था। इस प्रकार से अनेक दिन बीत जाने के पश्चात राघव की जो पत्नी थी जिसका नाम सुफला था उसने अपने आंगन में कुछ वृक्षों का रोपण किया, और नित्य उन वृक्षों को जल चढ़ाकर उनकी सेवा करने लगी। किंतु राघव की पत्नी को वृक्ष का ज्ञान नहीं था ,की कौनसे पौधे लगाने चाहिए और कौनसे नहीं। उसे जो वृक्ष आँखों को प्रिय लगे,उन्होने उन्हीं वृक्षों का रोपण किया। जो वृक्ष अशुभ थे, उन्हीं वृक्षों का रोपण उसने अपने घर के आंगन में कर दिया जिस कारण से उस वैश्य राघव को व्यापार धीरे धीरे घाटे में जाने लगा ।
उसके घर में रोज कलह होने लगी, पति-पत्नी में बार-बार क्लेश होने लगे, उन दोनों के जीवन में अनेक कठिनाइयां आने लगी। राघव का सारा व्यापार डूब गया। और उसका सारा धन भी नष्ट हो गया । अब राघव के पास अनाज तक खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। वे भूखे ही रहने लगे ,जिससे क्रोधित होकर उसकी पत्नी भी गुस्सा करने लगी। वह अपने पति को कोई काम करने के लिए कहती ,फिर राघव काम मांगने के लिए गांव में घूमने लगा। लेकिन उसे कहीं पर भी काम नहीं मिलता था ।
उसने आकर अपनी पत्नी से कहा, हे भद्रे मुझे तो कोई भी काम नहीं दे रहा है । अब मैं कहां पर काम खोजने जाऊं ,वे दोनों ही पूरी तरह से हतबल हो गए थे। दोनों के पास भी उद्योग करने के लिए कुछ नहीं था। धनेश्वर ने अपनी पत्नी के सारे गहने भी बेच डाले, और जो कुछ भी अन्न मिला उसी से पेट भर लिया, इस प्रकार से अशुभ वृक्ष लगाने के कारण दोनों के ही जीवन में घोर दरिद्रता और संकट आने लगे । किंतु वे दोनों ही इस बात को को नहीं जानते थे। फिर एक दिन एक साधु महात्मा राघव के घर पर पधारते हैं। उन्हें देखकर राघव उन्हें प्रणाम
करता है, और कहता है, हे साधु महाराज पधारिए इस गरीब के घर में , आपका स्वागत है । कहिए मैं आपकी किस प्रकार से सहायता कर सकता हूं ,वे साधु महाराज कहने लगते हैं । हे
महोदय मैं तीर्थ यात्रा पर निकला हूं। विश्राम करने के लिए कोई जगह खोज रहा हूं। यदि आपको कोई कष्ट ना हो । तो मुझे अपने घर में स्थान दे दो। मैं अनेक दिनों से भूखा भी हूं । अगर कुछ भोजन की व्यवस्था करदेतो बड़ी कृपा होगी । साधु महाराज के ऐसे वचन सुनकर वह राघव कहने लगा । हे साधु महात्मा आप अवश्य ही कोई पुण्यात्मा दिखाई पड़ते हैं ।
आपके मुख मंडल पर बहुत तेज है। आपकी सेवा करने का मुझे सौभाग्य मिल रहा है। आपकी सेवा करके मुझे बड़ा आनंद मिलेगा । कृपा करके आप घर के भीतर चलिए। फिर वह साधु महाराज उस राघव के घर के भीतर जाते हैं। और विश्राम करने लगते हैं । धनेश्वर उन साधु महाराज की बड़ी सेवा करता है। किंतु उसके पास अन्न का एक दाना नहीं होता है । तो वह अपनी पत्नी से कहता है। हे प्रिय आज हमारे घर पर जो साधु महात्मा आए हैं ।
वे बड़े पुण्यवान दिखाई पड़ते हैं। हमें उनके भोजन के लिए कुछ उपाय करना चाहिए । मैं गांव में जाकर किसी से थोड़ा सा धन मांग कर लाता हूं। इतना कहकर वह राघव
गांव में एक बनिए के घर पर जाता है। और उस बनिए से थोड़ा सा धन देने की विनती करता है। किंतु वह ब्ननीय उस दरिद्र वैश्य राघव को धन देने से मना कर देता है । और कहता है तुम्हारे पास तो फूटी कौड़ी नहीं है । तुम मेरा धन कैसे वापस करोगे। धनेश्वर कहता है, हे सेठ कृपा करके आप मुझे थोड़ा सा धन दीजिए । मैं जल्दी ही आपको लौटा दूंगा ।
यदि मैं धन नहीं लौटा पाया । तो आप मेरा घर ले लीजिए। यानी राघव ने अपना घर गिरवी रख दिया । राघव की बात सुनकर उस सेठ को उस पर थोड़ी दया आती है। और वह उसे धन देते हुए कहता है । हे वैश्य यदि तुमने धन नहीं लौटाया , तो तुम स्वयं ही मुझे अपना घर सौंप देना। राघव कहता है। हे सेठ मैं वचन देता हूं, यदि मैंने धन नहीं लौटाया ,तो मैं आपको मेरा घर सौंप दूंगा । फिर राघव उस बनिए से धन लेकर बाजार से दूध चावल सब्जी आटा शक्कर आदि। चीजें खरीद कर लाता है । और लौटकर अपने घर आ जाता है, फिर वह अपनी पत्नी से कहता है। हे प्रिय तुम उन साधु महात्मा के लिए भोजन बनाओ ।
फिर धनेश्वर पत्नी भोजन बनाती है । और उन साधु महात्मा को भोजन परोस है । इस प्रकार से उस राघव की भक्ति और निष्ठा को देखकर वे साधु महाराज बहुत प्रसन्न हो जाते हैं। भोजन हो जाने के पश्चात वे जाते-जाते उस राघव से कहते हैं। हे वैश्य मैं तुम्हारी भक्ति और आदर सम्मान से अत्यंत प्रसन्न हूं । तुम्हारी जो भी कामना है, मुझे बताओ मैं अवश्य पूरी करूंगा । तब वह धनेश्वर कहता है। हे महात्मा आपका आशीर्वाद ही हमारे लिए सब कुछ है । किंतु मैं आपसे यह जानना चाहता हूं ,कि किस पाप के कारण मुझे दरिद्रता का दुख भोगना पड़ रहा है।
हमने तो भगवान विष्णु की भक्ति की है । फिर हमारे जीवन में दरिद्रता क्यों आई है । इसका क्या कारण है, और इस दरिद्रता को दूर करने के लिए मुझे क्या उपाय करना चाहिए। फिर वह साधु महात्मा कहते हैं । हे वैश्य मैं जब तुम्हारे द्वार पर आ गया था। तभी मुझे यह झांत हो गया था । कि तुम्हारे जीवन में घोर दरिद्रता और संकट आए हुए हैं । क्यों कि तुम्हारे भवन के सामने जो वृक्ष है। वे ही तुम्हारी दरिद्रता के कारण है। इसीलिए तुम इन वृक्षों को हटाकर ।
उनके स्थान पर शुभ पौधों का रोपण करो । तुम्हारी पत्नी ने तुम्हारे भवन के सामने जिन वृक्षों का रोपण किया है । वे अशुभ वृक्ष हैं, उन्हीं के कारण तुम्हारी ऐसी दुर्दशा हुई है। राघव कहते हैं, हे महात्मा कृपा करके मुझे बताइए। कि घर के सामने कौन से वृक्ष लगाने चाहिए। जिससे घर में सुख समृद्धि हो ,और कौन से वृक्ष नहीं लगाने चाहिए ।
कृपा करके आप मुझे विस्तार से समझाइए । मैं आपका बड़ा आभारी रहूंगा । फिर वह साधु महात्मा कहते हैं । हे वैश्य ठीक है ,अब मैं तुम्हें उन शुभ वृक्षों के विषय में बताता हूं । जिन्हें घर के पास लगाने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है । इसीलिए तुम ध्यानपूर्वक सुनो। हे वैश्य किसी जलाशय के समीप पीपल का वृक्ष लगाने वाले मनुष्य को जो फल मिलता है । वह सैकड़ों यज्ञों के समान होता है। जब पीपल के पत्ते उस जलाशय में गिरते हैं। तो वे पिंड के समान होकर पित्रों को तृप्ति प्रदान करते हैं । इससे सभी प्रकार के पितृ दोष समाप्त हो जाते हैं । जो मनुष्य नित्य स्नान करके पीपल को स्पर्श करता है ।
वह सभी पापों से मुक्त होता है । और कभी पराजित नहीं होता है। पीपल को स्पर्श करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। और उसकी दक्षिणा करने से आयु में वृद्धि होती है। पीपल की जड़ में श्री विष्णु , तने में शिवजी और अग्रभाग में ब्रह्मा जी स्थित रहते हैं । अमावस्या के दिन पीपल को प्रणाम करने से जो फल मिलता है। वह हजार गाय के दान के बराबर होता है । इस संसार में पीपल के समान कोई वृक्ष नहीं है। साक्षात श्री हरि इस वृक्ष के रूप में पृथ्वी पर विराजमान है । पीपल के वृक्ष को चोट पहुंचाना अथवा उसकी टहनी तोड़ना महापाप माना गया है।
ऐसा मनुष्य एक कल्प तक नरक में रहता है। और जो पीपल को जड़ से काटता है। उसका कभी नरक से उद्धार नहीं होता है । हे वैश्य अब मैं तुम्हें दूसरे वृक्ष के बारे में बताता हूं । आवले का फल समस्त लोकों में प्रसिद्ध और परम पवित्र है । आवले को लगाने से स्त्री और पुरुष जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाते हैं । यह पवित्र फल भगवान विष्णु को अत्यंत प्रसन्न करने वाला एवं शुभ माना गया है । इसको खाने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है । आंवला खाने से आयु बढ़ती है । उसका जल पीने से रोगों का खात्मा होता है। और आंवले को जल में मिलाकर स्नान करने से दरिद्रता दूर हो जाती है । और सभी प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं। जिस घर में आंवला सदा मौजूद रहता है, उस घर में कभी दैत्य और राक्षस नहीं आते हैं।
एकादशी के दिन अगर आंवला मिल जाए ,तो संसार के सभी तीर्थों से बढ़कर फल प्राप्त होता है। अपने केश में आंवला लगाने वाला फिर से मृत्युलोक पर जन्म नहीं लेता है। जिस घर के सामने आंवले का वृक्ष होता है । वहां पर साक्षात लक्ष्मी नारायण निवास करते हैं। तीसरा है अशोक का वृक्ष, अशोक के वृक्ष में अप्सराओं का निवास होता है । यह वृक्ष शोक का नाश करने वाला तथा निराशा को समाप्त करने वाला होता है । इस वृक्ष को घर के पास लगाने से घर में सुख शांति बनी रहती है। अशोक का वृक्ष शीतलता और यवन प्रदान करने वाला होता है । मां लक्ष्मी ने जब देवी सीता के रूप में अवतार लिया था । तब रावण द्वारा अपहरण करने के बाद उनका वास अशोक वाटिका में था। अशोक के वृक्ष ने मां सीता की बहुत सेवा की थी ।
इसीलिए मां सीता ने अशोक वृक्ष को यह वरदान दिया था । कि जिस भी स्थान पर यह वृक्ष होगा, वहां पर उनका सदैव ही निवास होगा चौथा है। पाकड़ का वृक्ष प्रत्येक मनुष्य को पाकड़ का वृक्ष अवश्य लगाना चाहिए । यह वृक्ष लगाने से जो फल मिलता है । वह महायज्ञ के समान होता है। कलयुग में मनुष्य यज्ञ नहीं कर पाएंगे । इसीलिए उन्हें एक पाकड़ का वृक्ष अवश्य लगाना चाहिए। पांचवा है नियम का वृक्ष नियम का वृक्ष लगाने से सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं । निम का वृक्ष आयु प्रदान करने वाला माना गया है, इसे घर के पास लगाने से नाना प्रकार के
रोगों से छुटकारा मिलता है । मां लक्ष्मी को नियम के पत्ते अत्यंत प्रिय होते हैं। इसीलिए नियम के वृक्ष के पास निवास करती है. घर के सामने निम के वृक्ष का रोपण करने से धन संपत्ति की प्राप्ति होती है। छठा है जामुन का वृक्ष, यदि कोई मनुष्य कन्या प्राप्ति की कामना करता है । तो उसे जामुन का वृक्ष अवश्य लगाना चाहिए । जिस मनुष्य के घर के सामने जामुन का वृक्ष होता है । उसके घर में कन्या का जन्म होता है । जो कुल का गौरव बढ़ाती है । सातवा है, बेल का वृक्ष, बेल के वृक्ष में भगवान शिव पार्वती का निवास है। इसीलिए अगर बेल के वृक्ष के पास गुलाब का पौधा लगाया जाए । तो शिव पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है ।
उस घर में कभी दुख दरिद्रता नहीं आती है । उस घर में कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है । और कोई स्त्री विधवा नहीं बनती है। आठवा है, नारियल का पेड़, नारियल का पेड़ लगाने से पुरुष अनेक स्त्री का पति बनता है । नारियल किसी भी धार्मिक अनुष्ठान का आवश्यक अंग होता है। यह अत्यंत शुभ माना जाता है। घर के आंगन में नारियल का पेड़ होने से, उस घर में
हमेशा शुभता होती है। और उस घर के सदस्यों का समाज में बहुत मान सम्मान होता है। सुंदर पत्नी की कामना, करने वाले मनुष्य को अनार का वृक्ष लगाना चाहिए। पलाश का पेड़ ब्रह्म तेज प्रदान करता है। इसीलिए इसका रोपण अवश्य करना चाहिए। वंश वृद्धि और संतान प्राप्ति की कामना करने वाले मनुष्य को अंकोल का वृक्ष अवश्य लगाना चाहिए। अगर मनुष्य किसी बीमारी से पीड़ित है । तो उसे खैर का वृक्ष लगाना चाहिए। खैर का वृक्ष लगाने से बड़े-बड़े रोग नष्ट हो जाते हैं। यह वृक्ष आरोग्य प्रदान करने वाला होता है।
कुंद अर्थात मोगरे के पेड़ में गंधर्व निवास करते हैं । इसीलिए इस पौधे का रोपण अपने घर के पास करने से कार्यों में सिद्ध और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। खासकर कला के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को यह पौधा अवश्य लगाना चाहिए। यदि किसी मनुष्य को चोर और लुटेरों का भय सता रहा है । तो उसे अपने घर के पास बेंत का वृक्ष जरूर लगाना चाहिए । यह वृक्ष चोर लुटेरों को भयभीत करता है । और घर की रक्षा करता है , चंदन और कटहल के वृक्ष पुण्य और लक्ष्मी प्रदान करते हैं । इन वृक्षों का रोपण करने से दुख दरिद्रता समाप्त हो जाती है । घर की उत्तर दिशा में पाम और कनक चंपा का पौधा लगाया जाता है।
तो धन में वृद्धि होती है। केले का पेड़ भी बहुत शुभ होता है। और यह घर में सुख समृद्धि और खुशहाली लाता है। केले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है। इसीलिए घर में केले का पेड़ होने से घर में धन की कमी नहीं होती है। हर श्रृंगार के पौधे को पारिजात भी कहा जाता है। इस पौधे की उत्पत्ति समुद्र मंथन के समय हुई थी। और मां लक्ष्मी भी समुद्र मंथन से ही प्रकट हुई है । इसीलिए पारिजात के पौधे का बहुत अधिक महत्व है। यदि इस पौधे को अपने घर पर लगाते हैं । तो आपको मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होगी। मनुष्य को कभी भी ताड़ का वृक्ष नहीं लगाना चाहिए। ताड़ का वृक्ष संतान का नाश करने वाला होता है । जिस घर के पास ताड़ का वृक्ष होता है। उस घर के संतानों की कभी उन्नति नहीं होती है।
मनुष्य को कभी भी अपने घर के पास बहेड़ा चाहिए । इस वृक्ष पर प्रेतों का वास होता है , जो मनुष्य बड़े का वृक्ष लगाता है। वह प्रेत बन जाता है इसके नीचे बैठकर कभी पूजा पाठ भी नहीं करना चाहिए । अगर किसी मनुष्य को शत्रुओं का भय सता रहा है। तो उसे केवड़े का वृक्ष लगाना चाहिए । यह शत्रुओं का नाश करने वाला होता है । घर में कभी भी ऐसे पौधे नहीं लगाने चाहिए। जिनको काटने या तोड़ने पर दूध निकलता हो घर के सामने कभी भी बबूल का पेड़ नहीं लगाना चाहिए । इसे लगाने से विपत्ति आती है। घर के सामने बेर का वृक्ष भी नहीं लगाना चाहिए। इसे लगाने से नकारात्मकता बढ़ती है ।
धन का नाश होता है। और संकट आते हैं, किसी भी मनुष्य को अपने घर के सामने पपीते का वृक्ष नहीं लगाना चाहिए । इस वृक्ष को लगाने से धन का नाश होता है । और दरिद्रता आती है, अगर पीपल का वृक्ष भवन की पूर्व दिशा में होता है। तो घर में निर्धनता व्याप्त हो सकती है । वटवृक्ष घर की पश्चिम दिशा में हो तो घर में शोक का काल चिरकाल तक रहता है। दक्षिण दिशा में तुलसी का पौधा हो तो संतान को प प सहन करनी पड़ती है। किसी भी मृत वृक्ष की छाया घर पर पड़ती है । तो यह मृत्यु सूचक होता है । मृत वृक्ष को तुरंत उखाड़ देना चाहिए । वे साधु महात्मा कहते हैं।
हे वैश्य इस प्रकार से मैंने तुम्हें इन सभी शुभ और अशुभ वृक्षों के विषय में बता दिया है। इसीलिए तुम इन वृक्षों का रोपण करो, और भगवान की कृपा को प्राप्त करो वह धनेश्वर कहता है । हे महात्मा आपने आज मुझे उत्तम ज्ञान दिया है। मैं आपका धन्यवाद करता हूं , फिर वे साधु महात्मा धनेश्वर को आशीर्वाद देकर उस स्थान से अंतर्ध्यान हो जाते हैं। साधु महात्मा को अचानक से अदृश्य हुआ देखकर धनेश्वर और उसकी पत्नी को आश्चर्य होता है। फिर उन्हें समझ में आ जाता है। कि साक्षात भगवान विष्णु ही उनके घर पर आए थे ,फिर धनेश्वर उन साधु महात्मा के कहे अनुसार अपने घर के सामने अनेक शुभ वृक्षों का रोपण करता है। जिससे अचानक ही उसे बहुत सारे धन की प्राप्ति होती है । और उसकी दरिद्रता दूर हो जाती है ।
धनेश्वर और उसकी पत्नी भगवान विष्णु का धन्यवाद करने लगते हैं, भगवान श्री कृष्ण कहते हैं। हे सखा इस प्रकार से मैंने तुम्हें शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के वृक्षों के बारे में बताया है । अब तुम भी जाकर अपने भवन के पास इन वृक्षों का रोपण करो। तो दोस्तों इस प्रकार से भगवान श्री कृष्ण ने भवन के पास लगाए जाने वाले शुभ और अशुभ वृक्षों के बारे में बताया है। उम्मीद है, आपको यह कथा पसंद आई होगी। जानकारी अच्छी लगी तो पोस्ट को लाइक और कमेंट जरूर करें । और कमेंट में जय श्री कृष्ण अवश्य लिखें। इसके साथ ही अपने दोस्तों को इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा शेर करें ।
कौनसे पौधे अशुभ होते है, कौनसे पौधे अशुभ होते है, कौनसे पौधे अशुभ होते है, कौनसे पौधे अशुभ होते है, कौनसे पौधे अशुभ होते है, कौनसे पौधे अशुभ होते है,